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Tuesday, 28 February 2017

जगदीश जी की आरती- Om jai Jagdeesh Hare

। श्री हरि:।
जगदीश जी की आरती





ओम जय जगदीश, स्वामी जय जगदीश  हरे
 भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
 
जो धावे फल पावे, दुःख विनसे मन का ।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ॥

माता पिता तुम मेरे, शरण गहुँ किसकी ।
तुम बिन ओर  न दूजा, आस करूँ में जिसकी ॥

तुम पुरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी ॥

तुम करुणा के सागर ,तुम पालन कर्ता ।
मैं मूरख खल कामी, कृपा भर्ता ॥

तुम  हो एक अगोचर ,सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति ॥

दीनबन्धु दुःखहर्ता, तुम रक्षक मेरे ।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा भक्ति बढाओ, सन्तन  सेवा ॥

तन, मन, धन, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा।।

श्री जगदीश जी की आरती ,जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पति पावे ॥
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