॥ श्री हरि:॥
श्रीमद्भाग्दीता
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बंधू च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देवदेव॥
प्रथम अध्याय
धृतराष्ट्र बोले - हे संजय ! धर्मभूमि कुरुक्षेत्रमें एकत्रित, युद्ध
की इच्छावाले मेरे और पाण्डु के पुत्रोंने क्या किया। ... ....
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