Adhyatm

Monday, 20 February 2017

श्रीमद्भाग्दीता-सोलहवा अध्याय , Chapter-16

॥ श्री हरि:॥ 
 श्रीमद्भाग्दीता 

सोलहवा अध्याय  
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श्री भगवान  बोले -  भयक सर्वथा आभाव, अन्त:करणकी पूर्ण  निर्मलता, तत्वज्ञानके लिये ध्यानयोगमें निरंतर दृढ़ स्थिति  १  और  सात्विक दान, इन्द्रियोंका दमन, भगवान् देवता और गुरुजनोंकी 
पूजा तथा अग्निहोत्र आदि उत्तम कर्मोंका आचरण एवं वेद-शास्त्रोंका पठन -पाठन  तथा भगवान् के नाम और गुणों का कीर्तन , स्वधर्मपालन के लिये कष्टसहन और सरीर तथा इन्द्रियों के  सहित अन्त :कारनकी  सरलता ॥ १ ॥  









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