॥ श्री हरि ॥
* गणेश जी की आरती *
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जॉकी पारवती, पिता महादेव ॥ जय...
एक दन्त दयावंत, चारभुजाधारी।
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥ जय --
अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥ जय..
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा ।
लड्डुवन का भोग लागे, संत करे सेवा ॥ जय। ..
दिनन की लाज राखो, शम्भू सुतवारी ।
कामना को पूरी करो, जग बलिहारी ॥ जय। ****
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