Adhyatm

Monday, 20 February 2017

श्रीमद्भाग्दीता-चतुर्दस अध्याय:, Chapter-14

॥ श्री हरि:॥ 
 श्रीमद्भाग्दीता 


चतुर्दस अध्याय:
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क्षेत्र को जड़, विकारी, क्षणिक और नाशवान तथा क्षेत्रज्ञ को नित्य, चेतन, अविकारी और अविनाशी जानना ही,उनके भेद जानना है । .... ... 









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