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Friday, 10 March 2017

vishwakarma ji ki arti- श्री विस्वकर्मा जी आरती



।।श्री हरि:।। 
श्री विस्वकर्मा  जी आरती 
*
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के कर्ता, रक्षक स्तुति धर्मा ॥ ॐ जय 

आदि सृष्टि में विधि को श्रुति उपदेश दिया। 
जीव मात्रा का जग में, ज्ञान विकास किया॥ ॐ जय 

ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नहीं पाई। 
ध्यान किया जब प्रभु का , सकल सिद्ध आई ॥  ॐ जय 

रोग ग्रस्त राजा ने जब आश्रय लीना ॥ 
संकट मोचन बनकर दूर दु:ख किना ॥ ॐ जय 

जब रथकार दम्पति, तुम्हारी टेर करी। 
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत हरी सगरी ॥ ॐ जय 

एकानन चतुरानन, पंचानन राजे। 
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे ॥ ॐ जय 

ध्यान धरे जब  पद का, सकल सिद्दी आवे। 
मन दुविधा  मिट जावे, अटल शक्ति पावे ॥ ॐ जय 



श्री विश्वकर्मा जी की आरती जो कोई गावे। 
कहत गजानंद स्वामी, सुख सम्पति पावे ॥ ॐ जय 
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