।।श्री हरि:।।
श्री विस्वकर्मा जी आरती
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जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के कर्ता, रक्षक स्तुति धर्मा ॥ ॐ जय
आदि सृष्टि में विधि को श्रुति उपदेश दिया।
जीव मात्रा का जग में, ज्ञान विकास किया॥ ॐ जय
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नहीं पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का , सकल सिद्ध आई ॥ ॐ जय
रोग ग्रस्त राजा ने जब आश्रय लीना ॥
संकट मोचन बनकर दूर दु:ख किना ॥ ॐ जय
जब रथकार दम्पति, तुम्हारी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत हरी सगरी ॥ ॐ जय
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे ॥ ॐ जय
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्दी आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शक्ति पावे ॥ ॐ जय
श्री विश्वकर्मा जी की आरती जो कोई गावे।
कहत गजानंद स्वामी, सुख सम्पति पावे ॥ ॐ जय
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