Adhyatm

Sunday, 19 March 2017

Mere kanha aa javo- मेरे कान्हा आ जाओ ना



॥ श्री हरि :॥ 
मेरे कान्हा आ जाओ ना
*
मेरे कान्हा आ जाओ ना
अंखिया नीर बहाए, तुम बिन रह नहीं पाए

याद करो तुम काहना, वो बचपन की बाते
गोएं चराना, माखन चुराना, पनघट चीर चुराते, 
हम को बहुत सताते,
मेरे काहना आ जाओ ना, 
अंखिया नीर बहाए, तुम बिन रह नहीं पाए

वो यमुना की लहरें, वो मधुबन की छैया
रास रचाना, बंसी बजाना, पल पल याद दिलाएं,
पल पल हम को सताएं...
मेरे काहना आ जाओ ना, 
अंखिया नीर बहाए, तुम बिन रह नहीं पाए

जनम जनम की डोरी, तुम संग श्याम बंधी है
तुम संग काहना, रिश्ते हैं सारे, तुम संग हैं सारे नाते
फिर क्यूँ इतना सताते...
मेरे काहना आ जाओ ना, 
अंखिया नीर बहाए, तुम बिन रह नहीं पाए

लौट के आजा तू गोकुल, याद बहुत तडपाए
रात ना निंदिया, दिन को ना चैना, नैनो को न हमरे आए
नयना नीर बहाए...
मेरे काहना आ जाओ ना, 
अंखिया नीर बहाए, तुम बिन रह नहीं पाए
****

0 comments:

Post a Comment