Adhyatm

Sunday, 26 March 2017

ना ये मानता हूँ ना वो मांगता हूँ



॥ श्री हरि:॥ 
ना ये मानता हूँ ना वो मांगता हूँ 
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ना ये मानता हूँ ना वो मांगता हूँ 
गोबिंद मई तेरी ख़ुशी माँगता हूँ

जहाँ तुम रखोगे वाही मैं रहूँगा,
जहाँ नाथ रख लोगे वही मैं रहूँगा ।
आपने लिए आशिया मांगता हूँ ॥
ना ये मानता हूँ...

जो तुम कहोगे, करूँगा मैं दिलबर 
तेरी ख़ुशी में ख़ुशी चाहता हूँ ।
ना ये मानता हूँ...

ये दुनिया ना रीझे, ना रीझेगी कभी भी 
तुमसे ही आपन नाता चाहता हूँ ।
ना ये मानता हूँ...

मेरे हाथ टूटे हो मांगू मैं किसी से,
शहंशाह के दर से सदा मांगता हूँ ।
ना ये मानता हूँ...

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