Adhyatm

Saturday, 25 March 2017

हरी मैं नैनहीन,तुम नैना-krishna bhajan



॥ श्री हरि:॥ 
हरी मैं नैनहीन,तुम नैना
*
हे गिरधर गोपाल
करुणा सिंधु कृपाल
भक्त-वत्सल सबके सम्बल 
मोकू लेओ संभाल 

हरी मैं नैनहीन,तुम नैना
निर्बल के बल,दीन के बंधू
वचन सुन के बैना
हरी मैं नैनहीन,तुम नैना

थाम उँगरिया जौंन डगरिया लै चालो मोहे जानो
तुम्हरी शरण में तुम्हरे चरण में अब मेरो ठौर ठिकानों
गोपाल...गोपाल...
हरी तुम ही आंधे की लकुटिया 
तुम ही जिया को चैना
हरी मैं नैनहीन,तुम नैना

दरसन ते सुख,बिन दरसन दुःख
प्रभु मेरो मनवा पावे
तुम देखे मेरो सूरज ऊगे 
तुम बिछड़े छुप जावे
गोपाल...गोपाल..
अपने पतित को बेगी उबारो 
नाम रटो दिन- रैना
हरी मैं नैनहीन,तुम नैना

हे गिरधर गोपाल 
श्यामा दीन दयाल
भक्त-वत्सल सबके सम्बल 
मोकू लेओ संभाल 
गोपाल..गोपाल..
गोपाल...गोपाल..
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