। श्री हरि:।
दुर्गा माँ की आरती / काली माँ की आरती
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ओ मैया अम्बे तू है जगदम्बे काली , जय दुर्गे खप्पर वाली
तेरे गुण गाए भारती, ओ मैया हम सब उतारें आरती ।
तेरे भक्त जनों पे माता, भीर पड़ी है भारी ।
दानव दल पर टूट पड़ो मां, करके सिंह सवारी ॥
सौ सौ सिंहो से है बलशाली, है दस भुजाओं वाली ।
दुखियों के दुख को निवारती ।। ओ मैया ……
मां बेटे का है इस जग में, बड़ा ही निर्मल नाता ।
पूत कपूत सुने हैं पर, ना माता सुनी कुमाता ॥
सब पे करूणा दरसाने वाली, अमृत बरसाने वाली ।
दुखियों के दुखड़े निवारती ।। ओ मैया ……
नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना ।
हम तो मांगे मां तेरे मन में एक छोटा सा कोना ॥
सब की बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली ।
सतियों के सत को संवारती ।।
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