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Monday, 20 February 2017

श्रीमद्भाग्दीता- बाहरवां अध्याय, Chapter-12


॥ श्री हरि:॥ 

 श्रीमद्भाग्दीता 



बाहरवां अध्याय 
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अर्जुन बोले - जो अन्यनप्रेमी भक्तजन पूर्वोक्त प्रकार से निरंतर आपके भजन - ध्यानमें लगे रहकर आप सगुणरूप परमेश्वरको और दूसरे जो केवल अविनाशी सच्चीदानन्दघन निराकार ब्रह्मको ही अतिश्रेष्ठ भाव से भजते हैं -उन दोनों प्रकार के उपासकोंमें अति उत्तम योगवेत्ता कौन हैं?॥ १ ॥ 









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