॥ श्री हरि:॥
श्रीमद्भाग्दीता
बाहरवां अध्याय
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अर्जुन बोले - जो अन्यनप्रेमी भक्तजन पूर्वोक्त प्रकार से निरंतर आपके भजन - ध्यानमें लगे रहकर आप सगुणरूप परमेश्वरको और दूसरे जो केवल अविनाशी सच्चीदानन्दघन निराकार ब्रह्मको ही अतिश्रेष्ठ भाव से भजते हैं -उन दोनों प्रकार के उपासकोंमें अति उत्तम योगवेत्ता कौन हैं?॥ १ ॥
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