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Sunday, 26 February 2017

भगवग्दीता -आरती -Bhagwat geeta Arti



भगवग्दीता -आरती 
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जय भगवग्दीते जय भगवग्दीते । 
हरि -हिय कमल विहारिणि, सुन्दर सुपुनीते॥ जय 

कर्म- सुकर्म प्रकाशिनि, कामासक्तिहरा । 
तत्वज्ञान-विकाशिनि, विद्या ब्रह्म परा॥ जय 

निश्चल-भक्ति विधायिनी, निर्मल मलहारी । 
शरण- रहश्य -प्रदायिनी, सब विधि सुखकरी ॥ जय 

राग-द्वेष विदारिणी, कारिणी मोद सदा। 
भव-भय हारिणि, तारिणि परमानन्दप्रदा ॥ जय 

आसुर- भाव विनाशिनी, नाशिनि तम रजनी। 
दैवी सदगुणदायिनी, हरि - रसिका सजनी ॥ जय 

समता-त्याग सिखावनि, हरि -मुखकी बनी । 
सकल शास्त्रकी स्वामिनी, श्रुतियों रानी ॥ जय 

दया-सुधा बरसावनि मातु ! कृपा कीजे । 
हरिपद-प्रेम दान कर अपनो कर लीजै ॥ जय 
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