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Friday, 17 February 2017

श्रीमद्भाग्दीता -षष्ठो अध्याय:, Chapter-6

॥ श्री हरि:॥ 
श्रीमद्भाग्दीता 


षष्ठो अध्याय: 
*
श्री भगवन बोले- जो पुरुष कर्मफलका आश्रय न लेकर करने योग्य कर्म करता है,
 वह संन्यासी तथा योगी है और केवल अग्नि का त्याग करनेवाला सन्यासी नहीं है 
तथा क्रियाओंका त्याग करनेवाला योगी नहीं है ॥ १ ॥ 

















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