॥ श्री हरि:॥
श्रीमद्भाग्दीता
पंचदश अध्याय
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श्री भगवन बोले - आदिपुरुष परमेश्वररूप मूलवाले १ और ब्रह्मारूप मुख शाखावाले २ जिस संसाररूपी पीपलके वृक्षको अविनाशी ३ कहते हैं , तथा वेद जिसके पत्ते कहे गए हैं -उस संसाररूप वृक्षको जो पुरुष मूल सहित तत्व से जनता है , वह वेद के तात्पर्य को जानने वाला है २ ॥ १ ॥। .. ..
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