। श्री हरि:।
अम्बे माता की आरती
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ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरि॥ ॐ जय अम्बे गौरी
माँग सिंदूर विराजत, टीको मृगमदको।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥ॐ जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्त पुष्प गल माला, कण्ठन पर साजे॥ ॐ जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड़ग खपर धारी ।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥ ॐ जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत सम ज्योति।। ॐ जय अम्बे गौरी
शुम्भ,निशुम्भ, विदारे महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥ॐ जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु केटव दोउ मारे, सुर भर हीन करे॥ ॐ जय अम्बे गौरी
ब्ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥ ॐ जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा, और बाजत डमरू॥ ॐ जय अम्बे गौरी
तुम हो जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥ॐ जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी॥ ॐ जय अम्बे गौरी
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥ ॐ जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पति पावे॥ ॐ जय अम्बे गौरी
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