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Thursday, 2 March 2017

Ambe mata ki arti -अम्बे माता की आरती



। श्री हरि:। 
अम्बे  माता की आरती 
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ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। 
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरि॥ ॐ जय अम्बे गौरी

माँग सिंदूर विराजत, टीको मृगमदको। 
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥ॐ जय अम्बे गौरी

 कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै। 
रक्त पुष्प गल माला, कण्ठन पर साजे॥ ॐ जय अम्बे गौरी

केहरि वाहन राजत, खड़ग खपर धारी । 
 सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥ ॐ जय अम्बे गौरी 

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती। 
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत सम ज्योति।। ॐ जय अम्बे गौरी

शुम्भ,निशुम्भ, विदारे महिषासुर घाती। 
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥ॐ जय अम्बे गौरी 

 चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे। 
मधु केटव दोउ मारे, सुर भर हीन करे॥ ॐ जय अम्बे गौरी

ब्ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी। 
 आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥ ॐ जय अम्बे गौरी

 चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ। 
बाजत ताल मृदंगा, और बाजत डमरू॥ ॐ जय अम्बे गौरी

तुम हो जग की माता, तुम ही हो भरता। 
भक्‍तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥ॐ जय अम्बे गौरी

 भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी॥ ॐ जय अम्बे गौरी

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती । 
श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥ ॐ जय अम्बे गौरी

 श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै। 
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पति पावे॥ ॐ जय अम्बे गौरी


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